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Surah Baqarah Last 2 Ayat – सूरह बक़रह की आख़िरी दो आयत हिंदी में

surah baqarah last 2 ayat in hindi – सूरह बक़रह की आख़िरी दो आयत बहुत ही फ़ज़ीलत रखती है !

हुजूरे अकरम नबीये करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! अल्लाह अज़्ज़वजल ने ज़मीन व आसमान को पैदा करने से दो हज़ार साल पहले एक किताब लिखी ! फिर उस में से ब-क़रह  की आखिरी दो आयतें नाज़िल फ़रमाई !

जिस घर में तीन रातें इन दो आयतों को पढा जाएगा ! शैतान उस घर के क़रीब न आएगा !

एक रिवायत के अल्फ़ाज़ कुछ यूं हैँ कि जिस घर में इन दो आयतों ( surah baqarah last 2 ayat ) को पढा जाएगा शैतान तीन दिन तक उस के क़रीब न आएगा ।

नूर के पैकर, नबियों के सरवर, दो जहां के ताजवर, सुल्ताने बहरो बर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : “बेशक अल्लाह ने मुझे अपने अर्श के नीचे के ख़ज़ाने में से ऐसी दो आयतें ( surah baqarah last 2 ayat ) अता फ़रमाई  ! जिन के ज़रीए सू-रतुल ब-क़रह का इख्तिताम फ़रमाया, इन्हें सीखो ! और अपनी औरतों और बच्चों को सिखाओ ! क्यूं कि येह नमाज़ और कुरआन और दुआ हैं

सुल्ताने दो जहान, मदीने के सुल्तान, रहमते आ-लमियान, सरवरे ज़ीशान हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया : जो शख़्स (सूरए) ब-क़रह की आख़िरी दो आयतें ( surah baqarah last 2 ayat ) रात में पढेगा वोह उसे किफ़ायत करेंगी !

किफ़ायत से मुराद यह कि यह दो आयते ( surah baqarah last 2 ayat ) उस रात के क़ियाम के क़ाइम मक़ाम हो जाएगी ! या उस रात उसे शैतान से महफूज़ रखेगी ! या उस रात में नाज़िल होने वाली आफ़ात से बचाएंगी,या उसे फ़ज़ीलत व सवाब के लिए काफ़ी होंगी ! इंशा अल्लाह !

surah baqarah last 2 ayat –

285. ءَامَنَ ٱلرَّسُولُ بِمَآ أُنزِلَ إِلَيْهِ مِن رَّبِّهِۦ وَٱلْمُؤْمِنُونَ ۚ كُلٌّ ءَامَنَ بِٱللَّهِ وَمَلَٰٓئِكَتِهِۦ وَكُتُبِهِۦ وَرُسُلِهِۦ لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ أَحَدٍ مِّن رُّسُلِهِۦ ۚ وَقَالُوا۟ سَمِعْنَا وَأَطَعْنَا ۖ غُفْرَانَكَ رَبَّنَا وَإِلَيْكَ ٱلْمَصِيرُ

286. لَا يُكَلِّفُ ٱللَّهُ نَفْسًا إِلَّا وُسْعَهَا ۚ لَهَا مَا كَسَبَتْ وَعَلَيْهَا مَا ٱكْتَسَبَتْ ۗ رَبَّنَا لَا تُؤَاخِذْنَآ إِن نَّسِينَآ أَوْ أَخْطَأْنَا ۚ رَبَّنَا وَلَا تَحْمِلْ عَلَيْنَآ إِصْرًا كَمَا حَمَلْتَهُۥ عَلَى ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِنَا ۚ رَبَّنَا وَلَا تُحَمِّلْنَا مَا لَا طَاقَةَ لَنَا بِهِۦ ۖ وَٱعْفُ عَنَّا وَٱغْفِرْ لَنَا وَٱرْحَمْنَآ ۚ أَنتَ مَوْلَىٰنَا فَٱنصُرْنَا عَلَى ٱلْقَوْمِ ٱلْكَٰفِرِينَ

सूरह बक़रह की आख़िरी दो आयत हिंदी में –

आ-म-नर्सूलु बिमा अन्ज़ि-ल इलैहि मिर्रब्बिही वल्मुअमिनू-न,कुल्लुन,आ-म-न बिल्लाहि व-म-लाइ कतिही व कुतुबिही वरूसूलिही ला नु-फ़र्रिक़ु बै-न अ-हदि-म्मिर्रूसुलिही वक़ालू समिअ्ना व-अ-तअ्ना गुफ़रा-न-क , रब्बना वइलै-कल् मसीर ० 
ला यु-कल्लिफुल्लाहु नफ़-सन् इल्ला उस्-अ़हा , लहा मा क-स-बत् व अ़लैहा मक़-त-स-बत , 
रब्बना ला तुआख़िज़ना इन्नसी-ना औ अख़्-तअ्ना रब्बना वला तह्मिल् अ़लैना इस्-रन् कमा ह-मल् 
तहू अ़-लल्लज़ी-न मिन् क़ब्लिना रब्बना वला   तु-हम्मिल्ना माला ता-क़-त लना बिही वअ्फु 
अ़न्ना वग्फ़िर् लना वर्-हम्ना अन्त मौलाना फ़न्सुर्ना अ़-लल् क़ौमिल् काफ़िरीन ०


surah baqarah last 2

surah baqarah last 2 ayat in english

 

Aamanar-Rasoolu bimaaa unzila ilaihi mir-Rabbihee walmu’minoon; kullun aamana billaahi wa Malaaa’ikathihee wa Kutubhihee wa Rusulih laa nufarriqu baina ahadim-mir-Rusulihee wa qaaloo sami’naa wa ata’naa ghufraanaka Rabbanaa wa ilaikal-maseer ०

Laa yukalliful-laahu nafsan illaa wus’ahaa; lahaa maa kasabat wa ‘alaihaa maktasabat; Rabbanaa la tu’aakhiznaa in naseenaaa aw akhtaanaa; Rabbanaa wa laa tahmil-‘alainaaa isran kamaa hamaltahoo ‘alal-lazeena min qablinaa Rabbanaa wa laa tuhammilnaa maa laa taaqata lanaa bih wa’fu ‘annaa waghfir lanaa warhamnaa; Anta mawlaanaa fansurnaa ‘alal qawmil kaafireen ०



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