अस्सलामो अलैकुम भाइयो और बहनो ! कोई भी भाई या बहन अगर किसी भी तरह की परेशानी में मुब्तिला है ! और उसे राहे हल नहीं मिल रहा ! तो आप परेशानी दुर करने की दुआ ( Pareshani Ki Dua ) का अमल एक बार जरुर करे ! इन्शाह अल्लाह तआला आपकी हर दुःख तक़लीफ़ , हर परेशानी दूर हो जायेगी ! यह एक छोटा सा अमल है ! और इस अमल की मुद्दत 21 दिन है !
21 दिन तक यह एक मुक़र्रर वक़्त यानी अगर आप ये दुआ ईशा की नमाज़ के बाद पढ़ते है ! तो रोज़ एक ही वक़्त पढ़े ! यानी रोज़ ईशा की नमाज़ के बाद ही पढ़े ! और ये दुआ पढ़ने के बाद अल्लाह से अपनी परेशानी से निज़ात के लिए दुआ करे !
सच्चे दिल से मांगी हुई दुआ अल्लाह रब्बुल इज़्जत कभी रद्द नहीं करता ! इन्शाह अल्लाह !
याद रखे कोई भी दुआ पढ़े अव्वल आखिर दरूद शरीफ़ जरूर पढ़ लिया करे !
परेशानी दूर करने की दुआए ( pareshani ki dua )
- या मु-फत्ति-हल् अब्वाबि वया मुसब्बि-बल् अस्बाबि
- वया मु-क़ल्लि-बल् कुलूबि वल् अबसारिं
- वया ग़या-सल् मुस्तग़ीसी-न
- *वया दली-लल् म-त-हय्यिरी -न वया मु-फ़र्रि-हल् महज़ूनी-न
- अग़िस्नी , अग़िस्नी , अग़िस्नी “
- त-वक्कलतु अलै-क या रब्बी व-फव्वज़तु इलै-क अम्री
- या रब्बु , या रब्बु , या रब्बु
- या अल्लाहु, या बासितु, या रज़्ज़ाकु, या फ़त्ताहु, या करीमु
तर्जुमा – pareshani Dur Karne ki dua
या मु-फत्ति-हल् अब्वाबि वया मुसब्बि-बल् अस्बाबि
“ऐ दरवाजों को खोलने वाले और ऐ जरीआ (साधन) पैदा करने वाले अस्बाब के”
वया मु-क़ल्लि-बल् कुलूबि वल् अबसारिं
और ऐ दिलों और निगाहों के फेरने वाले। ”
वया ग़या-सल् मुस्तग़ीसी-न
“और ऐ -फ़रियाद करने वालो की फ़रियाद को सुनने वाले। ”
वया दली-लल् म-त-हय्यिरी -न वया मु-फ़र्रि-हल् महज़ूनी-न
“और ऐ राह बताने वाले हैरानो (भूलेमटकों) के, और ऐ खुशी देने वाले ग़म वालों के”
अग़िस्नी , अग़िस्नी , अग़िस्नी “
मेरी फ़रियाद सुनले, मेरी फ़रियाद सुनले, मेरी फ़रियाद सुनले”
त-वक्कलतु अलै-क या रब्बी व-फव्वज़तु इलै-क अम्री
“ऐ रब मैँ ने तुझ पर भरोसा किया और अपना काम तेरे हवाले किया । ”
या रब्बु , या रब्बु , या रब्बु
“ऐ परवरदिगार, ऐ परवरदिगार, ऐ परवरदिगार ”
या अल्लाहु, या बासितु, या रज़्ज़ाकु, या फ़त्ताहु, या करीमु
“ऐ अल्लाह, ऐ खुशहाली देने वाले, ऐ रोजी देने वाले, ऐ रहमत के दरवाजे खोलने वाले, ऐ सख़ावत करने वाले”
नोट – ऊपर की दुआएँ तमाम परेशानियों के लिये फायदेमंद है (लाभदायक हैँ) ! कोई उचित समय मुकर्रर करके रोजाना 21 मर्तबा पढा जाये।
pareshani ki dua |