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Karz Ada Karne Ki Dua – Karz Ki Dua Hindi Mein


कर्ज अदा करने की दुआ -karz ada karne ki dua

अस्सलामो अलयकुम व रहमतुल्लाहि व बरक़्वातहु ! मेरे प्यारे-प्यारे भाईयो और बहनो इस पोस्ट में आप पढ़ेंगे क़र्ज़ अदा करने की दुआ  ( Karz Ada Karne Ki Dua )

मौजूदा जिंदगी में कई लोग क़र्ज़ में मुब्तिला है ! कई बार हालात ऐसे हो जाते है ! कि क़र्ज़ लेना हमारी मज़बूरी बन जाती है ! और कई बार ऐसे हालात हो जाते है ! की क़र्ज़ चुकाने की  ( karz ada karne ki )कोई सूरत नज़र नहीं आती ! याद रखिये दुनिया में जिसने क़र्ज़ लिया और बिना चुकाए मर गया ! तो आख़िरत में हमारी नेकिया उस के नाम करदी जायेगी !

इसलिए मज़बूरी में ही सही अगर क़र्ज़ लिया है ! तो क़र्ज़ चुकाने की नियत रखनी चाहिए ! और यकीं मानिये जो भी क़र्ज़ अदा करने की नियत रखता है ! अल्लाह उसकी ग़ैब से मदद फरमाता है ! अव्वल तो ये की नमाज़ किसी भी हालत में क़ज़ा नहीं करे ! और अल्लाह से हमेशा दुआ किया करे ! अब आगे पढ़िए क़र्ज़ अदा करने की दुआ जिसे खुद हमारे प्यारे नबी हुजूर सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने बतायी है !

कर्ज अदा करने की दुआ -karz ada karne ki dua

मशहूर सहाबी हजरत अबू सईद खुदरी रजि अल्लाहु अन्हु का बयान है ! कि हुजूर सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम एक दिन मस्जिद में तशरीफ ले गए ! तो आपने वहां हजरत अबू उमामा अंसारी रजि अल्लाह तआला अन्हु को देखा ! आपने फरमाया ए अबू उमामा तुम उस वक्त में जबकि नमाज का वक्त नहीं है ! मस्जिद में क्यों और कैसे बैठे हुए हो !

हजरत अबू उमामा रजि अल्लाहु अन्हु ने अर्ज किया की ! या रसूल अल्लाह (सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ) मैं बहुत से अफ़कार ! और कर्ज़ों के बार से ज़ेरे बार हो रहा हूं ! आपने इरशाद फरमाया कि क्या मैं तुमको एक ऐसा कलाम ना तालीम करूं ! कि जब तुम इसको पढ़ो तो अल्लाह तआला तुम्हारी फिक्र को दफा फरमा दे ! और तुम्हारे कर्ज को अदा कर दे ! 

हजरत अबू उमामा रजि अल्लाह हू अन्हु ने अर्ज़ किया कि क्यों नहीं या रसूल अल्लाह ( सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ) जरूर मुझे तालीम फरमाइए ! तो आपने इरशाद फरमाया कि तुम रोजाना सुबह और शाम यह दुआ पढ़ लिया करो –

*अल्लाहुम्मा इन्नी अउजूबि-क-मि-नलहम्मी वल हुज़्नि व अउजूबि-क-मि-नल इज़्ज़ि  वल्कस्लि व अउजूबि-क-मि-नल जुबनि वल बुख्लि व अउजूबि-क-मि-नग-ल-बतिद-दैनि व कहरिर रिज़ालि *

 हजरत अबू उमामा रजिअल्लाहु अन्हु कहते हैं कि मैंने इस दुआ को पढ़ा तो मेरी फिक्र जाती रही और खुदावन्दे  तआला ने मेरे कर्ज भी अदा फरमा दिए !

( अबू दाऊद जिल्द 1  सफा 217 आखिर किताबुस्सलात  )


या – कर्ज अदा करने की यह दुआ पढ़े – karz ada karne ki dua

अल्लाहुम्मकफिनि बि-हलालि-क व अन हरामि-क व अगनिनी बि फ़दलि-क अम्मन सिवाक *

 हजरत मौलाए कायनात अली मुर्तजा रजि अल्लाहु  तआला अन्हु का फरमान है कि इसके पढ़ने से अगर बड़े पहाड़ बराबर भी कर्ज रहेगा तो अदा हो जाएगा

 ( मिश्कात स.- 216 तिर्मीजी सफा.- 195 )



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