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दुआ की ताकत – क़ुरआन शरीफ़ में दुआ का ज़िक्र

 

दुआ



दुआ की ताकत – क़ुरआन शरीफ़ में दुआ का ज़िक्र

अल्लाह तबारक व तआला ने हज़रत अय्यूब علیہ السلام को बेपनाह दौलत से नवाज़ा था ! दुनियां में मौजूद कोई ऐसी चीज़ नहीं थी ! जो हज़रत अय्यूब علیہ السلام के पास ना हो- हज़रत अय्यूब علیہ السلام अपने वक़्त के multi millionaire थे !
फिर अल्लाह पाक ने उनको आज़माया ! उनसे सबकुछ छीन लिया ! उनकी बहुत सारी औलाद थी और सारी एक साथ फौत हो गई- वसी ओ अरीज़ रक़बे पर उनकी फसलें जल कर राख हो गई ! और अल्लाह ने उनको बेशुमार बीमारियां लाहक़ कर दीं ! फिर एक दिन अय्यूब علیہ السلام ने अल्लाह तबारक व तआला से दुआ की और अल्लाह से रहम मांगा…
وَاَيُّوۡبَ اِذۡ نَادٰى رَبَّهٗۤ اَنِّىۡ مَسَّنِىَ الضُّرُّ وَاَنۡتَ اَرۡحَمُ الرّٰحِمِيۡنَ‌●
“और अय्यूब को याद करो जब उसने अपने रब को पुकारा कि मुझे बहुत तकलीफ़ हो रही है और तू तो सबसे बढ़कर रहम करने वाला है-“
(سورة الأنبياء، 83)
अल्लाह तबारक व तआला ने अय्यूब علیہ السلام की दुआ क़ुबूल कर ली ! और हज़रत अय्यूब علیہ السلام को सेहतयाब कर दिया ! और उनको पहले से भी कई गुना ज़्यादा दौलत और शानो शौकत अता की !
فَاسۡتَجَبۡنَا لَهٗ فَكَشَفۡنَا مَا بِهٖ مِنۡ ضُرٍّ‌ وَّاٰتَيۡنٰهُ اَهۡلَهٗ
“हमने उनकी दुआ क़ुबूल कर ली ! और जो उनको तकलीफ़ थी वो दूर कर दी ! और उनको बाल बच्चे भी अता फरमाए-“
(سورہ الانبیاء، 84)

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दुआ – क़ुरआन शरीफ़ में दुआ का ज़िक्र

इसी तरह अल्लाह ने क़ुरआन में हज़रत ज़करिया علیہ السلام का वाक़िआ ज़िक्र किया- हज़रत ज़करिया علیہ السلام की बीवी बांझ थीं वो बच्चे पैदा नहीं कर सकती थीं ! हज़रत ज़करिया علیہ السلام बूढ़े हो गए पूरी उम्र गुज़र गई बीवी बच्चे पैदा नहीं कर सकती थीं तो एक दिन घबरा कर अपने रब से दुआ की:
          “या अल्लाह ! अब मैं बूढ़ा हो गया हूं ! मेरी बीवी भी बच्चे पैदा नहीं कर सकती ! या अल्लाह ! तू मुझे बुढ़ापे का सहारा दे दे-“
और अल्लाह ने दुआ क़ुबूल कर ली ! और उसी बीवी से बच्चा दे दिया ! जो बच्चे पैदा कर ही नहीं सकती थीं, और फिर हज़रत ज़करिया علیہ السلام ने अल्लाह तआला से कहा:
          “अय मेरे रब मैं तुझसे मांग कर कभी महरूम नहीं रहा-“
(سورہ مریم آیت نمبر 4)
اِذۡ نَادٰى رَبَّهٗ نِدَآءً خَفِيًّا●
“जब उसने अपने रब को आहिस्ता से पुकारा-‘
قَالَ رَبِّ اِنِّىۡ وَهَنَ الۡعَظۡمُ مِنِّىۡ وَاشۡتَعَلَ الرَّاۡسُ شَيۡبًا●
और कहा:
           “अय मेरे रब मेरी हड्डियां बुढ़ापे के सबब कमज़ोर हो गई हैं ! और सर बुढ़ापे की वजह से शोला मारने लगा-“
وَاِنِّىۡ خِفۡتُ الۡمَوَالِىَ مِنۡ وَّرَآءِىۡ وَكَانَتِ امۡرَاَتِىۡ عَاقِرًا فَهَبۡ لِىۡ مِنۡ لَّدُنۡكَ وَلِيًّاۙ●
“और मैं अपने बाद अपने भाई बंदों से डरता हूं और मेरी बीवी बांझ है तू मुझे अपने पास से एक वारिस अता फरमा-“
يٰزَكَرِيَّاۤ اِنَّا نُبَشِّرُكَ بِغُلٰم ۨاسۡمُهٗ يَحۡيٰىۙ●

Dua

“अय ज़करिया हम तुझे खुशी सुनाते हैं ! एक लड़के की जिनका नाम यहया है-“
قَالَ رَبِّ اَنّٰى يَكُوۡنُ لِىۡ غُلٰمٌ وَّكَانَتِ امۡرَاَتِىۡ عَاقِرًا وَّقَدۡ بَلَـغۡتُ مِنَ الۡـكِبَرِ عِتِيًّا●
“अर्ज़ की अय मेरे रब! मेरे लड़का कहां से होगा मेरी औरत तो बांझ है और मैं बुढ़ापे से सूख जाने की हालत को पहुंच गया हूं-“
 قَالَ كَذٰلِكَ‌ۚ قَالَ رَبُّكَ هُوَ عَلَىَّ هَيِّنٌ وَّقَدۡ خَلَقۡتُكَ مِنۡ قَبۡلُ وَلَمۡ تَكُ شَيۡـًٔـا●
“हुक्म हुआ कि इसी तरह होगा कि मुझे ये आसान है ! और मैं पहले तुमको भी तो पैदा कर चुका हूं और तुम कुछ चीज़ ना थे-“(القرآن، سورہ مریم)

Dua For Quran

फिर क़ुरआन में अल्लाह ने हज़रत यूनुस علیہ السلام का वाक़िआ ज़िक्र किया ! कि जब वो मछली के पेट में गए तो बेबसी का ये आलम था क़ुरआन कह रहा है कि वो तीन अंधेरों के पेट में थे एक रात का अंधेरा दूसरा समंदर के नीचे गहराई का अंधेरा और तीसरा मछली के पेट का अंधेरा ! और फिर हज़रत यूनुस علیہ السلام ने बेबसी में अल्लाह को पुकारा:
فَنَادٰى فِىۡ الظُّلُمٰتِ اَنۡ لَّاۤ اِلٰهَ اِلَّاۤ اَنۡتَ سُبۡحٰنَكَ ‌ۖ اِنِّىۡ كُنۡتُ مِنَ الظّٰلِمِيۡنَ‌
     “अंधेरे में खुदा को पुकारने लगे कि तेरे सिवा कोई माबूद नहीं- तू पाक है- बेशक मैं क़ुसूरवार हूं-“
अल्लाह पाक फरमा रहा है:
            “हमने यूनुस علیہ السلام की सदा का जवाब दिया और उनको वहां से निकाला जहां से निकलने के सारे रास्ते बंद थे-“
فَاسۡتَجَبۡنَا لَهٗۙ وَنَجَّيۡنٰهُ مِنَ الۡـغَمِّ‌ؕ
“तो हमने उनकी पुकार सुन ली और उनको गम से निजात बख्शी-“
मेरे दोस्तों अल्लाह ने ये वाक़िआत क़ुरआन में इसलिए ज़िक्र किए ! कि मेरे बंदों मुझसे कभी ना उम्मीद ना होना मैंने मूसा को फिरऔन की गोद में पाल कर दिखाया..इस्माईल को छुरी के नीचे बचा कर दिखाया ! इब्राहीम को जलती आग में बचा कर दिखाया..मरियम को बिन बाप के बेटा देकर दिखाया.. यूसुफ को एक क़ैदी से बादशाह बना कर दिखाया-
इसलिए हमें अल्लाह तबारक व तआला से हर वक़्त मांगते रहना चाहिए ! अल्लाह के लिए क्या मुश्किल है- अल्लाह की ज़ात तो वो है जो नाकामियों में भी कामयाबी पैदा कर सकती है..!!


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