durood sharif ki fazilat
durood sharif ki fazilat – दुरूद शरीफ की फ़ज़ीलत –
*अस्सलामो अलैकुम भाईओ और बहनो इस पोस्ट में हमने दुरुद शरीफ की 30 फ़ज़ीलत ( durood sharif ki 30 fazilat ) बतायी है ! आप से गुजारिश है की आप भी ये पूरी पोस्ट पढ़े और सभी के साथ शेयर भी जरूर करे !
दुरूद शरीफ के 30 फ़ज़ाइल – durood sharif ki fazilat
1- अल्लाह तआ़ला के हुक्म की तामील होती हैं!
2- एक बार दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले पर दस रह़मतें नाज़िल होती हैं!
3- उसके दस दरजात बुलन्द होते हैं!
4- उसके लिए दस नेकियां लिखी जाती हैं!
5- उसके दस गुनाह मिटाए जाते हैं!
6- दुआ़ से पहले दुरूद शरीफ़ पढ़ना दुआ़ की क़बूलिय्यत का बाइ़स हैं!
7- दुरूद शरीफ़ पढ़ना प्यारे आक़ा सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम की शफ़ाअ़त का सबब हैं!
8- दुरूद शरीफ़ पढ़ना गुनाहों की बख़्शिश का बाइ़स हैं!
9- दुरूद शरीफ़ के ज़रीए़ अल्लाह तआ़ला बन्दे के ग़मों को दूर करता हैं!
10- दुरूद शरीफ़ पढ़ने की वजह से बन्दा क़यामत के दिन रसूले अकरम सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम का कुर्ब ह़ासिल करेगा !
दुरूद शरीफ की फ़ज़ीलत
11- दुरूद शरीफ़ तंगदस्त के लिए सदक़ा के काइम मक़ाम हैं!
12- दुरूद शरीफ़ क़ज़ाए ह़ाजात का ज़रीआ़ हैं!
13- दुरूद शरीफ़ अल्लाह तआ़ला की रह़मत और फ़िरिश्तों की दुआ़ का बाइ़स हैं!
14- दुरूद शरीफ़ अपने पढ़ने वाले के लिए पाकीज़गी और त़हारत का बाइ़स हैं!
15- दुरूद शरीफ़ से बन्दे को मौत से पहले जन्नत की ख़ुशख़बरी मिल जाती हैं!
16- दुरूद शरीफ़ पढ़ना क़यामत के ख़त़रात से नजात का सबब हैं!
17- दुरूद शरीफ़ पढ़ने से बन्दे को भूली हुई बात याद आ जाती हैं!
18- दुरूद शरीफ़ मजलिस की पाकीज़गी का बाइ़स हैं और क़यामत के दिन ये मजलिस बाइ़से हसरत नही होगी!
19- दुरूद शरीफ़ पढ़ने से तंगदस्ती दूर होती हैं!
20- ये अ़मल बन्दे को जन्नत के रास्ते पर ड़ाल देता हैं!
durood sharif ki fazilat
21- दुरूद शरीफ़ पुल सिरात़ पर बन्दे की रोशनी में इज़ाफ़े का बाइ़स हैं!
22- दुरूद शरीफ़ के ज़रीए़ बन्दा ज़ुल्म व जफ़ा से निकल जाता हैं!
23- दुरूद शरीफ़ पढ़ने की वजह से बन्दा आसमान और ज़मीन में क़ाबिले तारीफ़ हो जाता हैं!
24- दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले को इस अ़मल की वजह से उसकी ज़ात, उ़म्र, अ़मल और बेह़तरी के अस्बाब में बरकत ह़ासिल होती हैं!
25- दुरूद शरीफ़ रह़मते खुदावन्दी के हुसूल का ज़रीआ़ हैं!
26- दुरूद शरीफ़ मह़बूबे रब्बुल इज़्ज़त सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम से दाइमी मौह़ब्बत और इसमें ज़ियादत का सबब हैं और ये (मौह़ब्बत) ईमानी उ़कूद में से हैं! जिसके बग़ैर ईमान मुकम्मल नही होता!
27- दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले से आप सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम मौह़ब्बत फ़रमाते हैं!
28- दुरूद शरीफ़ पढ़ना, बन्दे की हिदायत और उसकी ज़िन्दा दिली का सबब हैं क्यूंकि जब वो आप सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम पर कसरत से दुरूद शरीफ़ पढ़ता हैं और आपका ज़िक्र करता हैं तो आप सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम की मौह़ब्बत उसके दिल पर ग़ालिब आ जाती हैं!
29- दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले का ये एज़ाज़ भी हैं कि सुल्त़ाने अनाम सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम की बारगाहे बेकस पनाह में उसका नाम पेश किया जाता हैं और उसका ज़िक्र होता हैं!
30- दुरूद शरीफ़ पुल सिरात़ पर साबित क़दमी और सलामती के साथ गुज़रने का बाइ़स हैं!